प्रभु दर्शन।
प्रभु दर्शन।
अगर अभिलाषा है प्रभु दर्शन की, उस मंदिर की धूल तू बन जा।
प्रतिष्ठा का छिड़काव तू कर दे, उसके मार्ग का फूल तू बन जा।।
मोहिनी मूरत के दर्शन होंगे, जब तू उसके नेत्र बन जा।
अपनी आँखों को उसकी नजर करके, खुद तू सूरदास बन जा।।
संचित किया जो तूने अब तक, उसको तू बिल्कुल ही भूल जा।
मृत्यु उपरांत कुछ भी ना होगा, अध्यात्म रतन तू साथ ले जा।।
अपनी इच्छाओं को ताक पर रखकर, उसकी इच्छा का सेवक हो जा।
प्रणय मार्ग पर गर चलना चाहता, राज़ी व रज़ा पर मुकम्मिल हो जा।।
यह समर भूमि है वीरों वाली, अपने को बलिदान तू कर जा।
करामातियों में तेरी गणना होगी, उपासना का मंत्र सीख जा।।
तड़प हृदय में इतनी कर ले, भूख- प्यास बिन मतवाला बन जा।
" नीरज" प्रभु दर्शन तब होंगे, उसके मार्ग पर चलना तो सीख जा।।