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Simranjit Singh

Inspirational

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Simranjit Singh

Inspirational

मेरा देश

मेरा देश

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इस कल्याणी धरती पर,

यह मेरा मनोहर देश,

है इस पर प्राण निछावर। 


इसके तन (धरती) पर, 

सूरज चमके,

मन में महके चाँदनी

नस-नस में इसकी-

रस बर


अधरा गूंजे रागिनी

ममता में मान सरो

धाता का धीर धरोह

है इस पर प्यार निछाव

इसके गान


स्वर्ग से सुन्द

नंदन नगर महान हैं

इसके वीर सुतों 

धरती, हिमगिरी

महिमावान 


इसमें प्रताप है अकब

इसमें रहीम है रघुव

इस पर सब धर्म निछाव

चांदी जैसी शुभ्र अहिंसा


सत्य स्वरुप सुन

भाल गगन से ऊंचा

पग के नीचे सागर गह

यह मानव का मन सुंद


दानव के लिए भयंक

इस पर सर्वस्व निछावर।

र,र,रा।,हरा,र।र,र,है।

-से-।र,व,र।र,वर,।से


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