हमें मानसिक स्वतंत्रता चाहिए।
हमें मानसिक स्वतंत्रता चाहिए।
आज स्वतंत्र हुए,
हो गए 75 बरस,
काफी उन्नति की,
कुछ खामियां भी रही,
जिनकी बदौलत,
आज भी भुखमरी,
आज भी अशिक्षा,
भ्रष्टाचार का बोल बाला,
अधिकतर आबादी असुरक्षित।
चलो कुछ कदम उठाएं,
जिससे स्वतंत्रता के सही मायने,
जान पाएं।
सबसे पहले हो शिक्षा में सुधार,
कोई भी स्कूल 8बरस से पहले नहीं जाएगा,
5 बरस से 8 बरस तक,
आंगन बाड़ी में सीखेगा मोरल सांइस,
फिर पहली से पांचवीं तक,
सिखाया जाएगा साधारण गणित, हिंदी, इंग्लिश,
और साथ में लैपटॉप,
फिर पांचवीं से दसवीं तक पढ़ाया जाए,
गणित, हिंदी, इंग्लिश, सोशल साइंस,
साधारण विज्ञान और मैदान में खेल,
फिर होगा एप्टीट्यूड टेस्ट,
और इसके बाद होगा निर्णय,
कौन सी धारा में जाएगा,
शिक्षा होगी सबके लिए अनिवार्य और निशुल्क।
इसके बाद पुलिस को करने होंगे सुधार,
इसको बनाना होगा व्यवहारिक,
प्रशासन को बनाना होगा संवेदनशील,
न्याय प्रणाली को करना होगा चुस्त दुरुस्त,
जिससे तुरंत आए निर्णय।
जो भी बने कानून,
उसको लागू होगा करवाना,
उसमें किसी के लिए भी,
कोई न हो रियायत।
अगर हम ये सब करेंगे,
तो ही मानसिक रूप से स्वतंत्र होंगे।