मुसाफ़िर
मुसाफ़िर
जिंदगी सफर है एक
और हर कोई यहाँ मुसाफ़िर है
अलग अलग सफर है सबका
पर साथ मिलकर चलना है
कभी आसान है तो कभी मुश्किल
सफर ये बहुत लंबा है
कभी खुशी है तो कभी गम
सफर ये तय करना है
किसका सफर कितना है
राज़ ये बहुत गहरा है
हर कदम पे अपने
वक्त का कडा पहरा है
सबसे मिलजुलकर रहो यारों
न जाने कौनसा मोड़ आखिरी है
आखिर मुसाफ़िर है हम
कभी ना कभी तो साथ छुटना है।
