Pradnya Kulkarni
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कागज़ के टुकड़े की
देखो कैसी मोहमाया है
इंसान पर उसका जादू
देखो कैसे छाया है
लालच को उसने बना के हथियार
देखो कैसे जाल बिछाया है
भूल गया नीतिमत्ता इंसान
देखो खुद का क्या हाल बनाया है
विचारों की अज...
नए साल का नया...
मुसाफ़िर
मोहमाया
जिम्मेदारी
जंगल
जंग
प्रकृति
पुराने दिन पु...
आम का पेड़