जंगल
जंगल
मकानों के जंगल में
कहीं इंंसान खो गया
दौड़ते दौड़ते मंजिल के पीछे
इंसानियत की राह भूल गया
तरक्की के तेज़ रफ़्तार में
बहुत अकेला हो गया
ढूँढते ढूँढते घर अपना
बहुत परेशान हो गया
कहाँ गए वो मेरे अपने
खुद से ये सवाल कर गया
मकानों के जंगल में
कही इंसान खो गया
