जिंदगी, मेरी सखी
जिंदगी, मेरी सखी


जिंदगी, बन सखी, तू साथ मेरे ही रहना,
कुछ मेरी सुनना और कुछ अपनी कहना।
सांसों से लंबा कभी, हो जाए जो सफर,
हमदर्द ना मिले कोई और ना ही हमसफर।
अनजानी राहों पर जब भी, अकेली मैं चलूं,
हाथ मेरा तुम थामे रखना, मेरे साथ चलना।
जिंदगी, बन सखी, तू साथ मेरे ही रहना,
कुछ मेरी सुनना और कुछ अपनी कहना।
जब मुश्किल घेरे मुझे, न निकले कोई हल,
ढूंढने से जब ना मिले, सुकून के दो पल।
वक्त क
ी पहेलियों को, जब सुलझाने निकलूँ,
मेरी सोच रौशन करना, मुझको थामे रखना।
जिंदगी, बन सखी, तू साथ मेरे ही रहना,
कुछ मेरी सुनना और कुछ अपनी कहना।
जब कांच से टूटे कभी, सपने मेरी आँखों के,
आशियाँ बिखरे मेरा, तूफान में हालातों के।
नाव मैं अरमानों की, जब तूफान में संभालू,
पतवार बन जाना तुम, मेरी हिम्मत बनना।
जिंदगी, बन सखी, तू साथ मेरे ही रहना,
कुछ मेरी सुनना और कुछ अपनी कहना।