ये इश्क़ कहाँ बस में मेरे
ये इश्क़ कहाँ बस में मेरे
यह इश्क बड़ा अनमोल
हम मोल लगा बैठे
तराजू लेकर बैठ गए
हम बड़े अभागे हैं।
इस प्यार की रुई को
क्या कातता चरखे पर
मेरे हाथ तो पत्थर हैं
यह रेशम से धागे हैं।
जो प्यार में पड़ते हैं
शब भर जागते हैं
हम इश्क करें कैसे
हम कब जागे हैं
यह जज्बा इश्क का पाक
निर्मल खालिस और साफ
कहा मेरे बस में इश्क
हम चांद जो दागे हैं।
मेरे साथ जो छू जाए
सोना मिट्टी हो जाए
हम कोयले खानों के
हम कहां सुहागे हैं।
सुबह की लाली है इश्क
हम रात की कालिख हैं
यह धुन अमृतवर्षा की
हम विष के रागे हैं।
यह इश्क इलाही है
यह सपनों का संसार
यह गठरी खुशियों की
हम गम के परागे हैं।
यह इश्क बड़ा अनमोल
हम मोल लगा बैठे
तराजू लेकर बैठ गए
हम बड़े अभागे हैं।