पानी का मोल
पानी का मोल
पानी का पहचानो मोल
पानी होता है अनमोल
इसको न तुम व्यर्थ बहाओ
कम से कम पानी में नहाओ।
नदियां तालाब सूख रहे हैं
झरने, झील बंद पड़े हैं
हम गाड़ी को पानी से नहलाते
स्विमिंग पूल में शान दिखाते।
बूंद-बूंद पानी को तरसते
लोग हैं देखो कितने झगड़ते
सड़कों पर है लगी कतार
मटके बाल्टी खाली पड़े हैं।
लाइन लगा सड़कों पर पड़े हैं
प्यासे पक्षी उड़े उदास
भटक रहे बुझाने प्यास
पर हमको न हुआ अहसास।
पेड़ों को काटकर कर रहे विकास
अब दिन वो आने वाला है
पानी धरती से जाने वाला है
बंजर धरती करे फरियाद
न करो प्रकृति से खिलवाड़।
