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Antima Singh

Drama

3  

Antima Singh

Drama

वो दिन थे अनमोल

वो दिन थे अनमोल

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ना कोई चिंता थी,

बस आगे बढ़ने की प्रतिस्पर्धा थी,

दोस्तों के साथ हम चलते थे,

सुख दुःख सब मिल सहते थे !


ना ऊंच नीच ना जात पात,

सब मिलजुल कर खाते साथ,

वो दिन भी बड़े सुहाने थे,

खेलों के हम दीवाने थे !


खो खो, पिट्ठू, गिल्ली डंडा,

छुपन छिपाई और मास्टर का डंडा,

अब याद बहुत सब आते हैं,

हमको बहुत तड़पाते है।


ना जाने कहाँ सब बिछड़ गए,

वो दोस्त पुराने किधर गए,

वाट्सअप फेसबुक पर हम ढूंढ़ रहे,

पुरानी यादों के वो फूल नये !


अब भी मन को महकाते हैं,

वो दिन बहुत याद आते हैं !


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