चिंगारी
चिंगारी
मेहनत और लगन में लगा शालीनता
एवं विन्रमता का तड़का
दौड़-धूप का लगाकर छौंक
स्वाभिमान और आत्मविश्वास का
डालकर सुंगंधित मसाला,
डर, ख़ौफ़, दुख का लगा छिटका
उदासी और गमों की
बाहर निकाल गर्म हवा,
परेशानी और विवशता है
किस मर्ज की दवा
सफ़रनुमा क़दमों का घुमा
कट और फोल्ड चमच्च
संघटित रहे,
सभी कर ढक्कन सीलबंद
धूप जैसी आँच पर पका
मंजिलों की लाजवाब सालन
गजरा लगाकर पास खड़ी
होगी मालन।
धुँए की धुंद में गायब हो जाएगी
उदासी की मैली चादर
देकची में मचा होगा
उबलता हुआ गदर,
तश्तरी में परोसी जाएगी
कामयाबी की जमानत
बस यही होगी
तुम्हारी जिंदगी भर की अमानत।
मौसम तो बदलते जायेंगे
अंजाम तलक पहुँचने से
हम ना रुकेंगे
बुझाये कोई अंगार चूल्हे की
चिंगारी से ही काम चलायेंगे।
वक्त आने पर चिंगारी ही ज्वाला
का काम कर जाती है
अंगार का क्या है, पानी के थपेड़े से
बुझ जाती हैं।
जलती है चिंगारी जिसके अंदर
जिंदा बस वही इंसान हैं
बाकी दफनायी हुई मरघट की लाशें
जिंदा भी है तो धरती पर बोझ है।।
