कोई नहीं जीवन का रक्षक
कोई नहीं जीवन का रक्षक
कोई नहीं जीवन का रक्षक
खुद ही बनना पड़ता है
अपने ही अपने पैरों पर चलना पड़ता है।
मुश्किल है दुनिया में चलना ,
दंशो को झेलना पड़ता है,
खुद ही अपने पैरों पर चलना पड़ता है।
सहभागी मुश्किल से मिलते,
नित्य कर्म कलाओं में,
खुद ही अपने पैरों पर चलना पड़ता है।
बहुत मुश्किल है,
जीवन की पगडंडी,
बहुत संभल कर चलना पड़ता है,
खुद ही अपने पैरों पर चलना पड़ता है।
सुख दुःख और पीड़ाओं को,
सहेजना समेटना पड़ता है,
खुद ही अपने पैरों पर चलना पड़ता है।
निर्विघ्न रुप से बढ़ने के लिए,
आत्ममंथन करना पड़ता है,
खुद ही अपने पैरों पर चलना पड़ता है।
कांटों पर चलकर,
हमें गुलाब बनना पड़ता है,
जिंदगी आसान नहीं .....
इसे समझना पड़ता है।
खुद ही अपने पैरों पर चलना पड़ता है।
