नई राह
नई राह
कभी कोई नहीं सराहेगा
तुम्हारा उस राह पे चलना जो आम न हो
कभी कोई नही सराहेगा
तुम्हारा ख़ुद से ख़ुद के लिए फैसले लेना
कभी कोई नहीं सराहेगा तुम्हारा
दांव पे लगा लेना सब कुछ
जब तुम देते हो ख़ुद को और दुनिया को चुनौती
वो तरस खाते हैं तुम पर
वो तुम्हें हमेशा ख़ौफ़ज़दा रखते हैं
कुछ खोने, कुछ गंवाने का ख़ौफ़ बनाये रखते हैं
वो चाहते हैं चलो तुम भी, उसी लीक पे ताउम्र
जिसपे चलते चलते उन्होंने अपने बाल सुफेद
और ज़िन्दगी स्याह कर दी
वो बस उतना ही देख पाते हैं
जितना उनकी आंखें दिखा पाती हैं
वो कैसे पसंद करेंगे उनको
जो ख़्वाब देखते हैं और क़ायनात को फरमाइशें लिखाते हैं
तुम गलती से गिरते हो कभी
तो वे हंसते हैं गालों में गुब्बारे भरकर
तुम्हारी नाकामयाबी तुम्हारे ही मुँह पर सुनाते रहते हैं
कई कई बार उलाहने देकर
तुम बस सब्र रखना और
चलते रहना एक मूक बधिर की तरह
और जब तुम पा जाओगे अपना मुक़ाम
भूल जाना लोगों के ताने और छींटाकशी
विनम्र, नफ़ीस हो जाना बनाये रखेगा तुमको
उसी ऊंचाई पर रहती दुनिया तक
लोग सराहेंगे
जब तुम होंगे उरूज़ पर
तब तुम्हारी थकान, पीड़ा और तमाम चुनौतियां
वो सुनेंगे दिलचस्पी से ख़ुद को तुमसे जोड़कर देखेंगे
और कहेंगे तुम्हें शानदार और लाजवाब!