रफ्तार
रफ्तार
कब तलक सहते रहोगे औरों की मनमर्जी को
मौसम की बदमिजाजी को रोकना होगा
जब जी चाहे उमड़ घुमड़ कर आती हैं बदरी
हवाओं के रुख को मोड़ना होगा
छोड़ना होगा मजलूम बनकर फिरते रहना
सितारों को भी विद्रोह करना होगा
अपने साये से भी रिहाई ले लो अब
अकेले ही इस रथ को आगे बढ़ाना होगा
खुदकुशी कर फिर जीना साधारण बात नहीं
अपनी ख़्वाहिशों को भी दफनाना होगा
बेबसी गुजरती है दामन थाम कर गरीबी का
जिंदगी को फिर से जिंदा करना होगा
अपनों को बेगाना बनते देर नहीं लगती 'नालंदा'
वक्त की रफ्तार को हमसफर बनाना होगा