खेद
खेद
माँ मुझसे स्नेह करती पर
ममता में भेद है
वैसे तो सब कुछ पाया पर
बेटी होने में खेद है
उसी कोख से भाई जन्मा
उसी कोख से जन्मी बहना पर
क्यों मुझसे पीतल सा प्यार
क्यों भाई सोने का गहना
मुझे पढ़ाया, मुझे लिखाया
बचपन से युवा बनाया पर
फिर भी क्यों मतभेद है
वैसे तो सबकुछ पाया पर
बेटी होने में खेद है
इसमें कोई सच्चाई है, या
मेरी आँखों का धोखा है
मुझमें ही बुराई छुपी है, या
ममता का रूप अनोखा है
उसकी पीड़ा माँ का दर्द है पर
मेरे दर्दों में उफ़ तलक न पर
मेरी भी चिन्ता करती माँ पर
उस चिन्ता में छेद है
वैसे तो सब कुछ पाया पर
बेटी होने में खेद है।
(मेरी माँ मुझसे बहुत प्रेम करती है पर कुछ ऐसी भी बेटियां हैं जिन्हें माँ का सच्चा प्रेम नहीं मिलता)