परख
परख
1 min
379
किसी दूसरे से पहले कभी अपना लहजा परख लेना
यकीनन खुद पर शर्म ना आये तो कह देना
आसान होता है कितना इल्जाम लगाना औरों पर
गिरेबान में अपने झाँककर कुछ समझ ना आये तो कह देना
अपनी मर्जी को यूँ थोपना दुनिया पर कहाँ की अक्लमंदी
उल्टे पांव चली बात गर, तारे दिनमें ना दिखाई दिए तो कह देना
अनसुनी बद्दुआओं को मत करना नजरअंदाज
वक्त के उलट फेर में मुँह की ना खायी तो कह देना
तुम्हारी कारगुजारियों के चर्चे मशहूर हुए देश दुनिया में
घमंड और अहंकार ने चूर चूर चूर ना कर दिया एक दिन तो कह देना
इंसान हो तुम भी ख़ुदा नही समझा करो'नालंदा'
बिना आवाज लाठी ना चल गई एक दिन उसकी तो कह देना।
