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Nalanda Satish

Tragedy

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Nalanda Satish

Tragedy

आहट

आहट

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उम्र से क्या ताल्लुक है इंसान का

देखते देखते सदियों पुराने हो जाते हैं हम

छीन ली जाती है हंसी

नहीं होती है रोने की इजाजत

क्योंकि रोने से अहंकार को ठेस पहुंचती है

दफन करते जाते हैं हर लम्हे को हम

दिल के किसी कोने में

भर जाता है ह्रदय

छलकने को आतुर है गम की

दर्द की किलकारियां

पर जड़ दिए हैं ताले हमने कसकर

ताकि दिखाई ना दे रंगत दिल की

पर धड़कनो ने तेज कर दी है आहटे

हर पल कराती है एहसास

कोई है और जो छटपटा 

रहा है दिल के भीतर

आवाजे लगा रहा है 'नालंदा'

भाई कोई है बाहर???



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