बरसात
बरसात


कोई इधर उल्फ़त की बरसात नहीं आती !
ऐसी क्यों जीवन में ही सौगात नहीं आती
दिल को दुखाने तो आते रोज़ मगर चेहरे
कोई प्यार के गाने नग्मात नहीं आती
आती है तल्खे लहज़े मैं सिर्फ़ बातें करनी
करने वो मुहब्बत की ही बात नहीं आती
मिलती बहुत है मुझको लेकिन दुआ ये ए यारों
ऐसी दुआ बदले जो हालात नहीं आती
दुल्हन की तरह सजकर जो जिंदगी में मेरी
जीवन में खुशियों की वो बारात नहीं आती
मैं देख सकू चेहरा उसका मगर नींदों में
ख़्वाबों भरी कोई ऐसी रात नहीं आती
वो भूल गया लिखना ख़त प्यार का ए आज़म
क्या उसको कभी मेरी अब याद नहीं आती।
आज़म नैय्यर