aazam nayyar

Others

4.2  

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खेल है

खेल है

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खेले है वो  दुश्मनी का खेल है 

यार समझे दोस्ती का खेल है 


ये हक़ीक़त है समझ नादाँ इसे 

ये न कोई आशिक़ी का खेल है 


आरजू पूरी हो सकती जो नहीं 

खेले क़िस्मत जिस हंसी का खेल है 


वो ख़ुदा रहता ख़फ़ा है क्यों बता 

जिसका दिल पर बेकली का खेल है 


सच कभी होता नहीं तक़दीर में 

प्यार वो ही इक ख़ुशी का खेल है 


बेवफ़ा की सांस में फ़ैली बदबू 

जुल्म उल्फ़त में उसी का खेल है 


दोस्त समझा है जिसे आज़म सच्चा 

आज खेला दुश्मनी का खेल है।


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