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कुमार अविनाश (मुसाफिर इस दुनिया का )

Romance Tragedy

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कुमार अविनाश (मुसाफिर इस दुनिया का )

Romance Tragedy

भलाई ही तो माँगी थी !

भलाई ही तो माँगी थी !

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तेरी ज़ुल्फ़ों से जुदाई तो नहीं माँगी थी

क़ैद माँगी थी रिहाई तो नहीं माँगी थी !


मैंने क्या जुर्म किया आप ख़फ़ा हो बैठे

प्यार माँगा था ख़ुदाई तो नहीं माँगी थी !


मेरा हक़ था तेरी आँखों की छलकती मय पर

चीज अपनी थी पराई तो नहीं माँगी थी !


चाहने वालों को तूने सिर्फ सितम ही दिया

तेरी महफ़िल में रुसवाई तो नहीं माँगी थी !


दुश्मनी की थी अगर वह भी निभाता ज़ालिम

तेरी हसरत में भलाई ही तो माँगी थी !


अपने दीवाने पे इतने भी सितम ठीक नहीं

तेरी उलफ़त में बुराई तो नहीं माँगी थी !


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