हमसफ़र
हमसफ़र
जब जब रूठी प्यार से मनाया तूने,
मेरे खामोशियों को सहलाया तूने।
तुम बिन मैं तो अधूरी थी मैं प्रिये,
मेरी जिंदगी को प्यार से सींचा तूने।
जब भी कहा सुनो तो पास आ गये,
आदर सम्मान का हकदार बनाया तूने।
शिकवे गिले तेरी मुहब्बत के किये मैंने,
मुस्कराते हुए सारे शिकवे दूर किये तूने।
तुम्हारी मुस्कराहट मुझमें उत्साह भरती,
दुखों की छाया से मुझे महफूज रखा तूने।
संग तेरा मिला जीवन की राह आसान हुई
मेरे दुखों पर हर बार अधिकार जताया तूने।
नाराज़गी की गिरहे तुम ने कभी बाँधी नहीं,
अपने प्यार के स्पर्श से गिरहे तोड़ी तूने।
अवतरण दिवस हो या शादी की सालगिरह,
त्यौहार सा उत्सव मना यादगार बनाया तूने।
व्रत, पूजा, मन्नत के धागे बाँधे तुम्हारी लिये,
ख़ुदा से अरदास की सजदे में साथ दिया तूने।
हर लम्हा मेरा गुलज़ार होता रहा तेरे इश्क में,
सात फेरो के बंधन में बंध गहरा प्यार किया तूने। ।

