STORYMIRROR

Sheela Sharma

Romance

4  

Sheela Sharma

Romance

अनुनय

अनुनय

1 min
292

अभी भी कुछ पल बाकी है

 मुझको वे वापस दे दो 


कितने खिले इंद्रधनुष

 कितने ही बादल के छोने तैरे नभ में

 कितने धूप छांव के टुकड़े 

पसरे मेरे आंगन में खेले आंँख मिचोली 


कितने हरसिंगार झरे

 कितनी महकी रात की रानी

 कितनी खिली चमेली 

बूंद बूंद ही सही सांसो में पिरो ली 

आंखों में समा ली मैंने


फिर भी यह सब अंजुरी भर ही तो

 बस इतना ही तो

 अभी भी कुछ पल बाकी है

 चाहो तो वापस दे दो 


फिर भी जो दे ना सको

 तो कुछ निमिष ही दे दो

 तूफान चाहे ताउम्र हो 

या घड़ी भर का

 घरौंदा तो आखिर बिखर ही जाता है

 

ये बुझे से दिन और उदास शामें

 बिखरे सपने उजड़े आशियाने

 यूं ना रह मुझसे ए -बेखबर

 मेरे दिल की भी रख खबर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance