अनुनय
अनुनय
अभी भी कुछ पल बाकी है
मुझको वे वापस दे दो
कितने खिले इंद्रधनुष
कितने ही बादल के छोने तैरे नभ में
कितने धूप छांव के टुकड़े
पसरे मेरे आंगन में खेले आंँख मिचोली
कितने हरसिंगार झरे
कितनी महकी रात की रानी
कितनी खिली चमेली
बूंद बूंद ही सही सांसो में पिरो ली
आंखों में समा ली मैंने
फिर भी यह सब अंजुरी भर ही तो
बस इतना ही तो
अभी भी कुछ पल बाकी है
चाहो तो वापस दे दो
फिर भी जो दे ना सको
तो कुछ निमिष ही दे दो
तूफान चाहे ताउम्र हो
या घड़ी भर का
घरौंदा तो आखिर बिखर ही जाता है
ये बुझे से दिन और उदास शामें
बिखरे सपने उजड़े आशियाने
यूं ना रह मुझसे ए -बेखबर
मेरे दिल की भी रख खबर।