चांद आहें भरेगा फूल दिल थाम लेंगे हुस्न की बात चली तो
चांद आहें भरेगा फूल दिल थाम लेंगे हुस्न की बात चली तो
रुख से उसने हटाए
अपने गेसू प्यार से
चांदनी शरमा गई
शबे रात ले चांद आ गया
आंखों की गहराई को
सागर ने नापा जब कभी
अध खिले लव पर
शबनम सी हंसी छा गई
नीला था नील गगन
नीलकमल गश खा गया
रुखसार की क्या लालिमा
हो लाल सूरज ढल गया
गोद ले सूरज को दरिया
दूर तक हंसता गया
क्या हुआ कुदरत करिश्मा
होश अपने खो गया
ये ख्वाबों का तसव्वुर
ये सपनों की सरजमी
गर बस गई फिजा यहां
तो ये किसका है कसूर
फैली जब आतिशे जिगर
हर लम्हा बहकता गया।