कभी कभी तो
कभी कभी तो
तुम बसे हो मेरी साँसों में,
आते जाते हरदम रहते हो
याद बहुत जब आती है,
बन आँसू फिर बहते हो।
बिन तेरे मैं बेचैन रहूँ
तुम बोलो! कैसे रहते हो ?
जान नहीं पाए फिर भी
जान मुझे क्यों कहते हो ?
रातों को जग जग कर मैं
साहिल सा कटता रहता हूँ,
तुम नींद औ मीठे स्वप्नों में
दरिया से बहते रहते हो।
कभी कभी तो स्मृतियों में
आकर भी मुझसे कहते हो,
है कौन मुझे भी बतलाओ
जिसकी यादों में खोए रहते हो।