रूह में उतर जाये
रूह में उतर जाये
कभी तुम नजर आओ कभी हम नजर आये
मोहब्बत में मगर हम दोनों नजर आये
कुछ यादें कुछ बातें कुछ वादे कुछ लम्हे थे
जहां भी देखा तुम ही तुम बेपरवाह बेखबर आये
बारिश की बूंदों से टूटी थी कागज की कश्तियां
खिवैया कोई न था मगर पतवार बेशुमार बेअसर आये
अंधेरों को कर हासिल उजाले से हारे हुए हैं
ख्वाबों ने आकर कुछ इस तरह हैैं कहर ढाये
कभी गजल में कभी गीत में कुछ अल्फफाज़ तो भरो
क्या पता इस हसीं वादी में हवायें खुशी की खबर लाये
कभी तुम वादे निभाओ कभी हम वादे निभायें
कि मुकाम इश्क का दिल को छूकर रूह में उतर जाये।

