तुमको गीत में ढल जाना था
तुमको गीत में ढल जाना था
कभी तुम नजर आओ
कभी हम नजर आये
मोहब्बत में मगर
हम दोनों नजर आये.
कुछ यादें कुछ बातें
कुछ वादे कुछ लम्हे थे
जहां भी देखा तुम ही
तुम बेखबर आये.
बारिश की बूंदों से
टूूटी थी कागज की कश्तियां
खिवैया कोई न था
मगर पतवार बेशुमार आये.
अंंधेरों को कर हासिल
उजालों से हारे हुए हैं
ख्वाबों ने आकर कुछ
इस तरह हैं कहर ढाये.
कभी ग़ज़ल में कभी गीत में
कुछ अल्फाज़ तो भरो
क्या पता इस हसीं वादी में
हवायें खुशी की खबर लाये
कभी तुम वादे निभाओ
कभी हम वादे निभायें
कि मुकाम इश्क का दिल को
छूकर रूह में उतर जाये!