रामे क बरखा ह रामे क छाता
रामे क बरखा ह रामे क छाता
पटरा पे चदरा बिछाय जालें सुती।
खाए के नून भात मरचा आ रोटी।
जिनिगी गरीब के अस होरहा भुजाता।
त रामे क बरखा ह रामे क छाता।।
मजूरे क देह मेह मारेला तान के।
सेतिहा क हइये बा जांगर किसान के।
पांजर में कांकर फंसाव ना दुखाता।
त रामे क बरखा ह रामे क छाता।।
मंडी भइल गोलबंदी बुझाता।
साहब के लासा लगइहें सुजाता।
आई बवंडर का करबा बिधाता।
त रामे क बरखा ह रामे क छाता।।
अरहर के दाल गेंहू सरसो के दाम हो।
भागल अकाश भइल मड़ई निलाम हो।
रावण के राज में का खईबा पराठा।
त रामे क बरखा ह रामे क छाता।।