मुहब्बत के सहे सितम ख़ूब
मुहब्बत के सहे सितम ख़ूब
कौन रक्खे प्यार अपने के लिए !
लड़ रहे है लोग पैसे के लिए
दिल भरा है ख़ूब लालच से यहाँ
कौन लड़ता देखो रिश्ते के लिए
और तू तैय्यार मिलने को नहीं
शहर से आया हूँ मिलने के लिए
कौन हूँ तेरा बता सबसे यहाँ
बात मत कर यूं दिखावे के लिए
भूल जा तू जुल्म उसके प्यार के
जीस्त में जो होता अच्छे के लिए
वो मुझे आज़म नहीं मिलता मगर
फूल लाया हूँ जिस चेहरे के लिए!
आज़म नैय्यर