अशांत मन
अशांत मन
मन में विचारों का तूफान सा उठा है
दिल में जज्बातों का कोहराम मचा है
दिमाग फंस गया है समस्याओं के भंवर में
झंझावातों से ये मन अशांत हो गया है
जीवन में आंधी तूफान जब भी आते हैं
ये अवश्य कुछ न कुछ तोड़ फोड़ जाते हैं
विचारों का ज्वार भी जब उठता है दिल में
तब बेहिसाब तबाही के निशां छोड़ जाते हैं
अशांत मन से लिए गए निर्णय ठीक नहीं होते
दिलों में उठते तूफां किसी को सोने नहीं देते
जब मन में अन्तर्द्वंद्व का घमासान जारी हो
तब ऐसे हालात मंजिल तक पहुंचने नहीं देते
स्थिरचित्त मनुष्य मोक्ष प्राप्त करता है
गीता का सांख्य योग यही तो कहता है
सुख दुख में सम भाव , राग द्वेष से दूर
प्रभु की शरण में जाने से ही तो मिलता है।