इधर कोई पुल टूटा उधर ज़िंदगी पानी में पर्वतों से मैदानों तक मचा हुआ है हाहाकार इधर कोई पुल टूटा उधर ज़िंदगी पानी में पर्वतों से मैदानों तक मचा हुआ ह...
पुलकित धरती,हर्षित काया मुग्ध हुआ देख अपनी छाया निशा शबनमी हुई है निर्झर पुलकित धरती,हर्षित काया मुग्ध हुआ देख अपनी छाया निशा शबनमी हुई है निर्झर
अब कोसते हैं खुद को हम वो नैन तो पतवार थे ! अब कोसते हैं खुद को हम वो नैन तो पतवार थे !
लहरें उठीं ज्वार बन मन में , जीव जंतु खग चहके वन में। लहरें उठीं ज्वार बन मन में , जीव जंतु खग चहके वन में।
अब हम दोनों की मिलकर जिंदगी में , नयी तलाश की तलाश शुरू हो गयी है। अपना अपना चाँद! अब हम दोनों की मिलकर जिंदगी में , नयी तलाश की तलाश शुरू हो गयी है। अपना अपना च...
कुछ अनिवार्यताओं को कभी जरूरी समझा ही नहीं गया कुछ अनिवार्यताओं को कभी जरूरी समझा ही नहीं गया