हल्दी घाटी का आभारी
हल्दी घाटी का आभारी
यह चंदन वर्गी माटी है
यह चित्तौड़ हल्दीघाटी है।
यहां राणा महाराणा बसता है
बचा नहीं कोई भाले से
जो भाले नीचे फसता है।
अपनों की गलती से राणा छला गया
चेतक था प्राणों से प्यारा वह भी चला गया।
अरे जाते-जाते चेतक वफादारी निभा गया
नाला पार कूदकर राणा को बचा गया।
एक जानवर प्रेम की भाषा जानता था
युद्ध में बढ़ जाए क्षत्रियों की तरह हुंकारता था।
उनका गद्दारों का कोई मोल नहीं
जो अकबर के सामने झुक गए
अपने को क्षत्रिय कहते हो
तलवार को देख कर छुप गए
प्रताप को अकेला छोड़ दिया
अकबर से जाकर मिल गए।
राणा प्रताप का अपमान किया है
जोधा को अकबर को दिया है
गद्दारों अकबर से नाता जोड़ा
राणा प्रताप को अकेला छोड़ा।
जीजा बनाया तुम जैसे हेटो ने
मार दिया राणा प्रताप तुम जैसे बेटे ने।
लड़ा युद्ध में खड़ा अकेला
भाला अकबर से भारी था
डरा नहीं किसी मुगलपुत से
हल्दीघाटी का आभारी था।