गांव की भाषा हिन्दी थी
गांव की भाषा हिन्दी थी
गांव की वो भाषा प्रेम के रस भर देती हैं!
अंतर्मन खुश हो जाता हिंदी में मां लिख देती है!
लिख देती है बचपन का वो अपना गांव
उसी गांव में मां बाबा का बुढ़ापा लिख देती है!!
एक बार आओ तो सही अपने गांव में!
यहां की गलियों में सनातन भहरा हुआ है!
पग पग पे हिंदी बसी हृदय में सब के
शहर आज भी अंग्रेजी से जला हुआ है!!
वो पुरानी दादी जी की बाते!
वो दादा जी की कहानी की रातें!!
हिंदी का इन्होंने मान रखा था!
अंग्रेजी से दूर अपना गांव रखा था!!
आज की परिस्थिति बदलने लगी!
हिंदी छोड़ अंग्रेजी गांव में आने लगी!!
बदल गई वो तस्वीर पुरानी!
हिंदी में सुनाती नानी कहानी!!
यहां सब कुछ हिंदी में बोला जाता था!
हिंदी से हमारा गहरा नाता था!!
नाता था अपनी धरोहर से!
पानी निकालना आसान था सरोवर से!!
सरोवर का जल भी सिंधु में जाता था!
सिंधु से हिन्दू कहलाता था!!
कहलाता था तब भारत विश्व गुरु!
तब से हिंदी बोलनी हो गई थी शुरू!!
शुरू हो गई थी तब एक नई रीत!
हिंदी में गाने लगे थे सब संगीत!!
संगीत का दौर रहा होगा!
तब हिंदी सिरमौर रहा होगा!!
रहा नहीं अब वो दौर बदल गई रीत!
हिंदी को मिटा रहे ना जाने कैसे गीत!!
भारत को घेरा था पर्वत की चोटियों ने!
हिंदी को लूट लिया था
अंग्रेजों कि बेटियों ने!!