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सरफिरा लेखक सनातनी

Inspirational

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सरफिरा लेखक सनातनी

Inspirational

एक दयानंद तैयार करो

एक दयानंद तैयार करो

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हे जगत जननी बलिदानी माता

है पर्वत से भी ऊंचा नाता। 


हे बब्बर शेर जनने वाली दयानन्द से तेरा नाता 

वेद धर्म पे, हर पल मरने वाला 17 बार विष पीने वाला। 

जंगल जंगल पहाड़ी पे चढ़ने वाला। 

आजादी की नीव को रखने वाला

भगवा का लिए पताका 

काशी को जितने वाला। 

अकेला था वह योद्धा

देव भूमि मेे भगवा ध्वज गाड़ने वाला। 

रुका नहीं कभी अंग्रेजी फौजी से

सत्य का प्रमाण दिया केवल वेदों से। 


हे ईश्वर मालिक हे दाता

अब तो कुछ उद्धार करो। 


सौ वर्ष से ज्यादा हो गए

एक दयानन्द और तैयार करो। 


है कष्ट यहां हर पग पग पे

हर दुष्ट यहां पैर पसार रहा। 

संस्कृति को मिटा रहे 

अपनो पर कर अत्याचार रहा!!


मिटती ममता घरो मेे 

बहनों का ना सम्मान रहा। 

पाखंडों ने किया था कब्जा

इन का यहां गुणगान रहा!!


जिसने अंध गुरु की शिक्षा लेकर इस जगह को चमकाया था। 

वेदों को पढ़कर जिसने 

वेदों को सत्य बताया था!

 

हे नाथ करुणा अवतार वग्नहरण 

अब तो कुछ ध्यान करो। 


सौ वर्ष से ज्यादा हो गए 

एक दयानन्द और तैयार करो। 


सभ्यता शक्तिं हो जाए 

ऐसा कुछ काम करो। 

बनो राष्ट्र प्रेमी राष्ट्रहित के

इस आर्यावर्त मिट्टी को प्रणाम करो!!


वेदों के मन्त्रों की ध्वनि

गूंजे फिर चारो और। 

इंच इंच में गाड़े भगवा 

छोड़ें ना वह भगवा डोर!!

  

धर्म परिवर्तन होता है

अब तो खुल्लम खुल्ला। 

जनता को बहका रहे 

पादरी और मुल्ला!!


हे आर्यावर्त के आर्यो 

भीम की प्रतिज्ञा बनो। 

या अर्जुन का गांडीव बनो। 

बनो तुम रामचंद्र जैसा त्याग

या कर्ण जैसा मित्र बनो!!


 हे शक्ति रूपक गुणाकार 

आर्यो की विनती स्वीकार करो। 


सौ वर्ष से ज्यादा हो गए

एक दयानन्द और तैयार करो। 


 ना जाने क्यों ये सब हो गया

कैसे कैसे शब्दो को धो दिया!

हो गए वेद से अलग सारे के सारे

हमने ही ऋषि को खो दिया!!


पावन मिट्टी मिट ना पाए 

ऐसा कुछ काम करो। 

संध्या हवन घर घर हो 

वेदों का फिर से गान करो!!


जान जाए पर वचन ना जाए ऐसा हमारा मान करो। 

घर घर रावण होने लगे 

समुंद्र का निर्माण करो!!


कण कण में बसे हो तुम जग स्वामी

इस प्रकृति का कुछ ध्यान करो

हो वीर पैदा फिर से वीरों का निर्माण करो!!


सौ वर्ष से ज्यादा हो गए

एक दयानन्द और तैयार करो। 


बिस्मिल शेखर भगत सिंह सब सत्यार्थ प्रकाश पढ़ते थे। 

लड़ते थे ये वतन की खातिर संध्या हवन भी करते थे!!


वंदे मातरम बोलकर असेंबली में भगत सिंह बम करते थे। 

फांसी चुमी गोली मारी 

खुद में यह दम रखते थे!!



रखते थे मां की आन वतन की शान 

फिर गोली खुद सर मेे रखते थे। 

 हिल गई अंग्रेजों की बुनियादे

जब भगत सिंह सुखदेव राजगुरु फांसी पर भी हंसते थे!!


हे भारत मां जगत जननी 

शेरनी की भांति हूंकार भरो। 

घर घर हो वीर पैदा मंगल पांडे धनसिंह का निर्माण करो!!


हे शक्ति रूपक गुणाकार दया सिंधु अब तो कुछ चमत्कार करो!!

सौ वर्ष से ज्यादा हो गए एक दयानंद और तैयार करो। 


पन्ना से यहां माताएं थी 

लक्ष्मी सी दुर्गाय थी। 


पलवल से पूर्व गुलावाद मेे 

धोला धोला बोली थी। 

6 फुट की धोला-भाला लिए फिर रण डोली थी!!


सन 47 के दंगों में रण में 

खोपड़ी मुल्लों की खोली थी। 


पन्नाधाय वीरांगना माता 

भारत मां की शेरनी थी। 

उदय सिंह लिया बचा 

चंदन की भेंट पर ना रोती थी

 वफादारी में पुत्र गवाया पन्ना हरचंद की बेटी थी!!


हाडा रानी शीश काटकर 

थाली में रख देती है। 


झांसी की रानी पुत्र बांधकर 

रण में गदर मचा देती है। 


ऐसी ऐसी वीरांगनाओ ने 

इस धरातल का मान रखा। 

 पुत्र गवाए पति गवाए फिर भी भारत मा का सम्मान रखा!!


अब नहीं मिटने देंगे भारत को वंदे मातरम का गुणगान करो। 

करो राष्ट्रभक्ति वेद धर्म पर

ये जवानी भारत मा के नाम करो!! 


सौ वर्ष से ज्यादा हो गए   

एक दयानंद और तैयार करो। 



हे राष्ट्रहित के राष्ट्रवाद है

सूर्य किरण की किरण वान। 


हे अजर अमर निर्विकार अनादि

हे विघ्न हरण मंगल मूर्त 

शत्रुओं का संघार करो। 


अर्जुन का गांडीव लिए

ऋषि दयानन्द सी हुंकार भरो। 

भीम बली की गदा बन 

शत्रुओं पर अब वार करो। 


भीष्म पिता की प्रतिज्ञा बन 

खुद को तुम बलवान करो। 

बनो गांडीव गदा सुदर्शन 

कुरुक्षेत्र का फिर निर्माण करो!!


भगवा भगवा लहराए धरती पर फिर से तुम रामराज करो। 

अब दसानंद की मरने की बारी है

जाओ विभीषण को तैयार करो!!


उठाओ राम हाथ में बाण

खींच दिखाओ प्रत्यंचा। 

रावण को अब मार गिराओ 

यही है जन-जन की इच्छा!!


हे धर्मराज बंधु पितामह गणेश 

शेष काल

हे वसु रुद्र चंद्र बृहस्पति राहु केतु गुरु यज्ञ

हे पृथ्वीवादि रक्षण बन्धु पिता कृपालु अज़। 

हे सत्य ज्ञान आनंद दाता मुक्त

हे कवि प्रिय महादेव शंकर भगवान

हे कन कन में व्यापक स्वामी

अब तो तुम अवतार धरो। 


ईश्वर सच्चिदानंद स्वरूप सर्वशक्तिमान न्याय कारी दयालु अजन्मा अनंत निर्विकार अनादि अनुपम सरदार सर्वेश्वर सर्वव्यापक सर्वांतर्यामी अजर अमर अभय नित्य पवित्र सृष्टि करता

अब तो विनती रुबिल की स्वीकार करो। 


सौ वर्ष से ज्यादा हो गए 

एक दयानंद और तैयार करो। 


की धर्म को भूल रहे

पाखंड को लिए झूम रहे

करोड़ों वर्ष पुरानी सभ्यता उसको कर तुम चुर रहे। 


गुलामी का जब वक्त रहा था जकड़े थे हम जंजीरों में

वेद मंत्र पढ़कर जो 20-20 वर्ष के फांसी को भी चूम रहे। ।


की भगवा मिटाने वालों 

भगवा क्या मिटाओगे

उगता सूरज डूबता सूरज 

है यही इसकी पहचान

घर-घर उधम पैदा होंगे 

कितने उधम मिटाओगे। 


चल रहा हूं वेद धर्म पर

अब मुझे क्या मिटाओगे 

विनती है मेरी यही तुम से

तुम ही उधम बन जाओगे। 


मां की ममता पिता का प्यार और मां की मां भारत मां का फर्ज तुम निभाओगे। ।


राष्ट्रहित पर क्रांतिकारियों ने जो बुनियाद दे रखी थी

कैसे दूर हुए हम 

जो नीव ऋषि दयानंद ने रखी थी। 


की भूल गए तुम्हे याद दिला दूं 

राष्ट्र धरा के काम बता दूं


अब तो कुछ करने की बारी आईं 

नहीं रुकूंगा अर्जुन की घुड़सवारी आई। 


मरो या मारो नहीं बस मारो मारो

क्रांतिकारियों का निर्माण करो। 


सौ वर्ष से ज्यादा हो गए

एक दयानंद और तैयार करो।


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