हिंदी बताने आया हूं
हिंदी बताने आया हूं
भारत की राष्ट्रभाषा
हिंदी बताने आया हूं!
हिंदी से लिखा गान
तुम्हें सुनाने आया हूं!!
तुम याद करो उस भारत को
जो हिंदी ने सजाया था!
तुम याद करो बिस्मिल की गाथा को
जो हिंदी में लिख पाया था!
तुम याद करो भगत सिंह ने
वंदे मातरम हिंदी में सुनाया था!!
ऐसे कैसे भूल गए तुम
हिंदी अपनी भाषा को!
वही राष्ट्र का राष्ट्रप्रेम
जो हिंदी में गीत गाता हो!!
पढ़ो इतिहास अपना तुम
हिंदी की किताबों से!
भारत की पहचान बनी है
हिंदी की बुनियाद से!!
भारत की गौरव गाथा
तुम्हें सुना नहीं आया हूं!
भारत की राष्ट्रभाषा
हिंदी बताने आया हूं!!
कितनों ने अपनी भाषा पर बलिदान दिया!
धर्म नहीं बदला लेकिन फांसी पर टांग दिया!!
ऐसी गौरव गाथा को नमन मेरा है बारंबार!
हिंदी मेरी वो भाषा है
बोली जाती देश के पार!!
सुनो सुनाता हूँ वो बात पुरानी दादा की
हिंदी में सुनाते कहानी, जीत थी अभिलाषा की
मात पिता ही पहले गुरु अक्षर ज्ञान कराते हैं
कोई इंग्लिश बाज है
मैं हिंदी माँ का जाया हूँ!
वेदों की और लोटो
मैं ये पैगाम लाया हूँ!
मुझे मेरी संस्कृति से सुनो
ओ हिंदी वालों
मैं भारत माँ का बेटा हूँ!
मैं घर अपनी माँ के आया हूँ!!
भारत की राष्ट्रभाषा
हिंदी बताने आया हूं!
हिंदी से लिखा गान
तुम्हें सुनाने आया हूं!!
आर्यो की भूमि है यहाँ
किसी और का
वास नहीं!
देश पर मरते है इस धरा के लाल
किसी और में बात नहीं!!
खून की बून्द बून्द बोली थी
आजादी की होली में!
कितने लाल खपा दिए
भारत माँ की बोली में!!
वीर आजादी दिला गए
पर मन फिर भी गुलाम रहा!
दुनिया को शिक्षा देता आर्यावर्त
इस का ना सम्मान रहा!!
भूल मत जाना हिंदी कि परिभाषा को!
अंतर्मन से दोहराना पाने की अभिलाषा को!!
जहाँ गंगा की लहरों से पाप धुलाई जाते है!
जहाँ संस्कृति के धरा पे बाग़ लगाए जाते है!!
जहाँ पर्वत की माला से मेरा भारत संवरता है!
जहाँ हर मनुष्य के हृदय में
श्री राम बसता है!
ये पावन भूमि मेरे भारत की
इस मिट्टी से सारा संसार सजता है!
जहाँ राम बसे है हृदय में
वही सुदर्शन चक्र वाला कृष्ण भी बस्ता है!!
बागों के झूलो में!
कलियों के फूलो में!
गंगा की लहरो में!
मैं हिंदी से गान लिखूं!!
पर्वत की छाव में!
सूर्य के प्रकाश में!
भारत की मिट्टी में!
मैं भारत मां के नाम लिखूं!!
निज निज चमकता भारत है!
ऋषियों की पावन माटी में!
सत सत तुझे प्रणाम मेरा!
मैं हिंदी हिन्दू हिंदुस्तान लिखूं!!
पवित्र गंगा सी सीता माता
रुक्मणि का त्याग है!
पन्ना धाए की वफ़ादारी में
बेटे चंदन का बलिदान है!
मैं उसी भारत माँ का बेटा हूँ!
मैं हिंदी मां का जाया हूं!
मैं घर अपनी माँ के जाया हूँ!!
भारत की गौरव गाथा
तुम्हें सुना नहीं आया हूं!
भारत की राष्ट्रभाषा
हिंदी बताने आया हूं!!