डरा नहीं किसी मुगलपुत से हल्दीघाटी का आभारी था। डरा नहीं किसी मुगलपुत से हल्दीघाटी का आभारी था।
जो शीश झुका दे राणा का ऐसी कोई तलवार नहीं।। जो शीश झुका दे राणा का ऐसी कोई तलवार नहीं।।