डरा नहीं किसी मुगलपुत से हल्दीघाटी का आभारी था। डरा नहीं किसी मुगलपुत से हल्दीघाटी का आभारी था।
माते ! तुम सचमुच महान हो ... अन्याय, अत्याचार का सर्वनाश किया ! तेरा ऋण हम चुका ना पायें, गौरवगान... माते ! तुम सचमुच महान हो ... अन्याय, अत्याचार का सर्वनाश किया ! तेरा ऋण हम चुक...
भयंकर जिसका अंत रहा, मैंने मुगल साम्राज्य का संक्षेप कहा। भयंकर जिसका अंत रहा, मैंने मुगल साम्राज्य का संक्षेप कहा।
फिर आज जरूरत है शिवा की, शिवा की वीरता आत्मसात करो। फिर आज जरूरत है शिवा की, शिवा की वीरता आत्मसात करो।