तुम्हारे साथ हूँ
तुम्हारे साथ हूँ
तुम्हारे साथ हूँ
पर पास आना मना है!
गुम हो गया हूँ
कहीं
गुमनाम दिशाओं में
कहीं
दूरियों से अंजान हूँ
शोर से परेशान हूँ
तुम्हारा बीज हूँ
पर फुनगी का खिलना मना है!
पंछी कब सोते हैं
पंछी कब रोते हैं
मानता हूँ तुम हो
वहीं
बहती नदी भी
वहीं
तुम मुक्त भी
तुम उन्मुक्त भी
तट हूँ तटस्थ हूँ
पर हमारा मिलना मना है!
मैं प्रति क्षण जला हूँ
सांझ सा ढला हूँ
तारा टूटा था
जहाँ
टूट कर बिखरा था
जहाँ
काल भी टहलता है
चांंद भी मचलता है
करवटें लेता हूँ
तुम्हारा चांदनी हूँ
पर छत पर बिचरना मना है!!
