मन से मन का तार जुड़ेगा नवगीत निर्मित होगा। मन से मन का तार जुड़ेगा नवगीत निर्मित होगा।
कभी कभी घायल हो जाती हूँ मैं जब जब चोरी हो जाती हूँ मैं...... कभी कभी घायल हो जाती हूँ मैं जब जब चोरी हो जाती हूँ मैं......
तुम मुक्त भी तुम उन्मुक्त भी तट हूँ तटस्थ हूँ तुम मुक्त भी तुम उन्मुक्त भी तट हूँ तटस्थ हूँ
आसमान से धूप उतरकर बागों, झरनों तक छांव ढूंढती तपती जाती आसमान से धूप उतरकर बागों, झरनों तक छांव ढूंढती तपती जाती
उड़ान तुम्हारी बाहर-भीतर धरती-अम्बर नदिया-समंदर जीव-चराचर कहां-कहां उड़ा ले जाती जाने मुझको कैस... उड़ान तुम्हारी बाहर-भीतर धरती-अम्बर नदिया-समंदर जीव-चराचर कहां-कहां उड़ा ले ...