तुझसे उमंग, शीतल, पावन, तुझसे उमंग, शीतल, पावन,
तलवार की धार सा जो लिखे कलम तो टूटकर भी अमर हो जाएगी कलम तलवार की धार सा जो लिखे कलम तो टूटकर भी अमर हो जाएगी कलम
दिन में ही चांदनी खिल गई तपती हुई जमीन हंस पड़ी है दिन में ही चांदनी खिल गई तपती हुई जमीन हंस पड़ी है
तपती धूप में सारे दिन विचरण करते हैं शाम ढले स्वामी के घर पर ये दिखते हैं तपती धूप में सारे दिन विचरण करते हैं शाम ढले स्वामी के घर पर ये दिखते हैं
इस जीवन को जितना समझना चाहा, उतना ही उलझ गई। इस जीवन को जितना समझना चाहा, उतना ही उलझ गई।
शाम आई है तपती हुई जल रहा है देखो मेरा बदन. शाम आई है तपती हुई जल रहा है देखो मेरा बदन.