वो समझते नहीं कौन जाएगा दूर घर से, अपनी मिट्टी , अपने गांव , अपने शहर से, वो समझते नहीं कौन जाएगा दूर घर से, अपनी मिट्टी , अपने गांव , अपने शहर से,
तपती धूप में सारे दिन विचरण करते हैं शाम ढले स्वामी के घर पर ये दिखते हैं तपती धूप में सारे दिन विचरण करते हैं शाम ढले स्वामी के घर पर ये दिखते हैं