लहलहाती फसलें झुकती डालियां बहती नदिया लहराता समंदर। लहलहाती फसलें झुकती डालियां बहती नदिया लहराता समंदर।
उड़ान तुम्हारी बाहर-भीतर धरती-अम्बर नदिया-समंदर जीव-चराचर कहां-कहां उड़ा ले जाती जाने मुझको कैस... उड़ान तुम्हारी बाहर-भीतर धरती-अम्बर नदिया-समंदर जीव-चराचर कहां-कहां उड़ा ले ...
कैसे मनाऊँ रुठ गया सजन जो नदिया पार। कैसे मनाऊँ रुठ गया सजन जो नदिया पार।
मैं संजीदा, मैं अल्हड़ भी कभी यादों में, कभी बातों में। मैं संजीदा, मैं अल्हड़ भी कभी यादों में, कभी बातों में।
मैं जन गण की प्यास, बुझा ल्याऊं खुशहाली। मैं जन गण की प्यास, बुझा ल्याऊं खुशहाली।
कलकल करती नदिया जो कल जो थी, कभी सूखी तो कभी तट तोड़ है बहती कलकल करती नदिया जो कल जो थी, कभी सूखी तो कभी तट तोड़ है बहती