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Anuradha Negi

Others

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Anuradha Negi

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बरसात के दिन

बरसात के दिन

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बरसात होती रिमझिम रिमझिम

तारे चमकते टिम टिम टिम टिम

कभी वर्षा तो कभी खिली धूप

चमक गई गलियां भर गए कूप।

मेघ डराकर गरजता ऐसे 

मानो बहाकर ले जाए जैसे,

नहीं कर सकते नफरत इससे 

वरना मिलेगा जल कैसे।

लड़की बिजली घुस के अंदर 

खुशी से चीखते चिल्लाते बंदर  

लहलहाती फसलें झुकती डालियां 

बहती नदिया लहराता समंदर।

बरसात से होता किसान सुखी

ना हो तो पक्षी चातक दुखी,

टर्र टर्र करता मेंढक भी 

हृदय से चाहते इसे सभी।

बरसात की है जरूरत अभी

पर बादल बरसे कभी कभी।


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