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Anuradha Negi

Others

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Anuradha Negi

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मेरी गली में....

मेरी गली में....

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अभी तो आई हूँ मैं इस नई गली में

पहचान हो गयी है यहाँ हर किसी से

सब ऐसा लगता है जैसे हो जाना सा

जीव हो या इंसान हैं सब पहचाना सा। 

बात है अब दो उन जीवों की 

जो रहते तो थे मेरी ही गली में

पर गली थी उनकी कोई घर नहीं

लगता था किसी से उनको डर नहीं। 

पर जब मिलता था उन्हें कोई निवाला

एक ने था अपना स्वभाव बदल डाला

अब बन गया था वो स्वार्थी मित्र 

सिर्फ खाने पर हो जाता था विचित्र। 



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