कोई तो बताये.....
कोई तो बताये.....
क्यों इतनी परेशान रहा करती हूँ मैं
अपनी ख्वाहिशों के लिए चलती हूँ मैं
कोशिश करती रहती हूँ चलूँ चलती रहूँ
थक कर देखूँ राह, फ़िर हार रही हूँ मैं।
मैंने सुना है लोग प्रायः कहते हैं यह प्रभु
कोशिश करने वाले की होती हार नहीं
तो मेरी कश्ती किस दरिया में है अब तक
जिसका मिला कभी मुझे कोई पार नहीं।
रोज का बिता भूल कर बढ़ जाती हूँ प्रभु
कि शायद आज मुझे मंजिल मिल जाए
मंजिल क्या रास्ते इतने मिल जाते हैं तुम्हारे
कि जाऊँ किस राह पर मुझे कोई तो बताये।