गुलाब वाली लड़की....
गुलाब वाली लड़की....
सांवली सी सूरत लिए आँखों में आस
मिलती है रोज मुझे सीढ़ियों के पास
बड़ा गुलदस्ता लेकर हाथ में गुलाबों का
एक खरीद लो कहते जाती है सबके पास।
अलग सी मुस्कान है उसके चेहरे पर
पतली चोटी बालों की लगती बड़ी सुंदर
पहले नहीं ध्यान देती थी कभी मैं उस पर
वो है कि बिना मुझे मिले हटाती नहीं नजर।
कभी कपड़े, कभी पुरानी चूड़ी बिंदिया
लेकर जाती हूँ तो खुश होती वो गुड़िया
लेती थी पैसे जो पहले उन फूलों के
थमा देती जबरन मुझे बिन वसूलों के।
बड़े प्रेम से आवाज देती है बोलकर दीदी
जैसे लगाव हो गया तुझसे मेट्रो की सीढ़ी।