नन्ही गिलहरी....
नन्ही गिलहरी....
1 min
308
मेरे घर की छत के ऊपर
आती थी रोज एक गिलहरी
लंबी पूँछ को अपनी लहराते वो
काली भूरी कुछ थी सुनहरी।
दो हाथों पर उठाकर खाना
चुगती रहती है अपना दाना
जब जब देखना होता पास
भाग कर जाती पेड़ की डाल।
पकड़ने की चाह की जब उसे
चुभाये नन्हें दांत उसने मुझे
हल्का रक्त निकल आया था
फिर उसे रोज हाथ में खिलाया था।
