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Anuradha Negi

Classics

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Anuradha Negi

Classics

बिन रिश्ते का बंधन....

बिन रिश्ते का बंधन....

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कुछ नही होकर भी सब कुछ हो जिससे

उससे बांधना जरूरी तो नहीं.. ... 

कैद रखकर भी कोई आदत भूल सकता है क्या


तोता अपनी बोली भूल इंसानी भाषा बोलता है 

ये वफा तोते की कि वो ढला अपने वजूद के लिए 

अब उसकी ये वफा जायज है कोई मजबूरी नहीं...


वो भी नहीं चाहते हैं हम बांध दें जंजीरों में

क्या पता कल होना हो किसी और की लकीरों में

यूँ तो दीदार आँखों में ख्वाब यादों से हो जाता है

शायद कल को आँसू छलकें उनकी तस्वीरों में। 


नहीं रोका है जाने को न रोक पाएंगे

होंगे वफा के राही तो कहाँ जायेंगे

जिंदगी रही तो मिलना बिछड़ना लगा रहे 

कभी हम उनसे तो कभी वो मिलने हमसे आयेंगे। 


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