Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Vivek Agarwal

Romance Fantasy

4.9  

Vivek Agarwal

Romance Fantasy

निर्झरिणी

निर्झरिणी

2 mins
766


निर्मल निश्छल निर्झरिणी तू, पर्वत पर प्रपात बन बहती।

मनमोहक मधुर मंद ध्वनि में, मेरे कानों में क्या कहती।

स्वच्छंद सजीव तू चले निरंतर, थमना है तेरा काम नहीं। 

पथ पर पड़ते पाषाण परन्तु, प्रीती सदैव हृदय में रहती। (१)


अंजन आँखों से तेरी चुराकर, श्यामघटा है नभ में छाती।

तेरी तरंगों से क्रीड़ा करने, नित्य सूर्य की किरणें आती।

उमड़ घुमड़ तेरा नृत्य देखके, पशु-पक्षी हैं साथ थिरकते। 

प्रमुदित प्रफुल्लित प्रकृति भी, गीत तेरे स्वागत में गाती। (२)


सुरभित साँसों से सौरभ ले, हैं कानन की कलियाँ महकीं।

कल-कल कलरव तेरा सुन के, चपल चंचल चिड़ियाँ चहकीं।

दमक दृष्टि-दीप्ति से तेरी ही, ये खद्योत अरण्य के पाते हैं।

स्वच्छ सलिल की मदिरा पी के, मदहोश मधुलिकायें बहकीं। (३) 


अवदात अम्बु के दर्पण में, प्रतिबिम्ब देख के मृग मुस्काते।

सानिध्य तेरा पाने को, उत्तंग शिखर-गज झुक-झुक जाते।

धन्य हुआ है जीवन मेरा, मुझको जो अविरल साथ मिला।

हृदय में उठतीं प्रेम-तरंगे, मीलित नेत्र नित्य स्वप्न सजाते। (४)


स्नेह सदैव संचित रखना, जीवन को इससे आधार मिला।

कभी कुम्हलाये नहीं हिय का, जो पावन प्रेम-पुष्प खिला।

आरोह-अवरोह आयेंगे जीवन में, नेह कभी न मिटने पाये।

अनुराग-अनल जो बुझी कभी तो, बन जायेगी हिमशिला। (५)


प्रेम ही जीवन का आधार है। यदि हृदय से स्नेह की ऊष्मा समाप्त हो जाये तो एक सजीव निर्झरिणी भी एक निस्तेज हिमशिला में परिवर्तित हो जाती है। यह कविता "निर्झरिणी" मेरी एक पहले लिखी कविता "हिमशिला" की पूर्व कड़ी है। यदि आपको यह कविता अच्छी लगे तो फिर "हिमशिला" भी पढ़िएगा ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance