उठ जा तू भी अपने सेज से लेकर फूलों का हार अभी। उठ जा तू भी अपने सेज से लेकर फूलों का हार अभी।
सुरभित हैं दिग दिगन्त आ गया बसंत सुरभित हैं दिग दिगन्त आ गया बसंत
मेरे सपने मुझे सताते हैं , सारी-सारी रात जगाते हैं । मेरे सपने मुझे सताते हैं , सारी-सारी रात जगाते हैं ।
मगर जीवन मिला नहीं बस मिट जाने को। हैं ये उपवन कुछ सौरभ बिखराने को। मगर जीवन मिला नहीं बस मिट जाने को। हैं ये उपवन कुछ सौरभ बिखराने को।
पय को देती अक्षय उड़ेल माता बन जाती धरती है । पय को देती अक्षय उड़ेल माता बन जाती धरती है ।
हम तुम और उपवन संग खीलें तराना । सच है प्रेम पावन पंथ सबसे सुहाना।। हम तुम और उपवन संग खीलें तराना । सच है प्रेम पावन पंथ सबसे सुहाना।।