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Anuj Saraswat

Abstract

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Anuj Saraswat

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प्रकृति: एक मनोरम दृश्य

प्रकृति: एक मनोरम दृश्य

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देख एकटक बिन छपकाए पलक,

ये मनोरम दृश्य प्रकृति का

मेघों में फैल रही ख़ूनी लालिमा,

मन प्रफुल्लित हो हर प्राणी का।


उतपन्न हुआ स्त्रोत ऊर्जा का,

रवि ने भी अंगडाई भरी

दीप्ति के आगमन वातावरण में

संध्या जाने की ठान रही।


पुष्प खिल रहे,

पक्षी चहचहा रहे,

मुर्गों ने भी बाँक भरी

तू ले सौरभ इस मंथन का।


जीवन हो जाए तेरा साकार अभी

आदित्य आ रहा अपने रथ पर,

आगमन को सृष्टि है खड़ी

उठ जा तू भी अपने सेज से

लेकर फूलों का हार अभी।


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